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ये कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस देश ने पूरे विश्व को न केवल धन दौलत हीरे जवाहरात के लिए पूरे विश्व को आकर्षित किया बल्कि ज्ञान और संस्कृति के लिए भी पूरे विश्व के दार्शनिकों को आकर्षित किया आज उसी भारत के संस्कृति/ज्ञान/विज्ञान को तथाकथित पश्चिमी दर्शन के अधकचरे अनुचर श्रेष्ठ ही नहीं बल्कि सर्वश्रेष्ठ मानकर स्वयं को विद्वान होने के भ्रम पालकर बैठे हैं। जबकि पूरा विश्व भारत का ऋणी है कि भारत ने उसे पहनना खाना रहना ज्ञान विज्ञान से परिचित कराया।लेकिन इसी भारत मे इस देश में ही जन्म लिए हुए लेकिन मुघलो/अंग्रेज़ो की मिक्स ब्रीड इस देश को विश्व मे पिछड़ा और अंधविश्वास और मूर्खता का देश मानती है इस देश के विरुद्ध दिनरात षड्यंत्र करती रहती है।जब ये अपने ही देश के नही हुए तो और किसी के क्या होंगे।ये सिर्फ शत्रु है जिन्हें शत्रु देश अपना हथियार बनाये हुए हैं भारत के विरुद्ध।

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