‘बिरसा तुम्हें कहीं से भी आना होगाघास काटती दराती हो या लकड़ी काटती कुल्हाड़ीयहां-वहां से, पूरब-पश्चिम, उत्तर दक्षिण सेकहीं से भी आ मेरे बिरसाखेतों की बयार बनकरलोग तेरी बाट जोहते.’
#धरतीआबा_बिरसामुंडा
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