क्या किसी बाज ने अपना गुनाह माना है ?
शिकार पर झपटने से पहले कभी झिझका है कोई चीता?
भेड़िए को किसी ने पछताते हुए नहीं देखा
डंक मारते हुए बिच्छू शर्मिंदा नहीं था..
शेर हो या जूएं ..
खून पूरी आस्था से पीते है
और क्यों न हो !
जबकि वे जानते हैं
कि रास्ता उन्हीं का सही है
-शिंबोर्स्का