जिनलोगों को महाराष्ट्र के घटनाक्रम में ईमानदारी, सुचिता फलां ढिंका के खतरे में होने का इल्म हिलोरे मार रहा है वो 1947 के पहले और बाद के नेहरुद्दीन के काल का विश्लेषण कर लें।उसके बाद इंदिरा काल का विश्लेषण कर लें। आपका ज्ञान आपके पिछवाड़े में घुस जाएगा अगर आपने अब्बी भी अपना सम्मान खोया नही है।अगर नही तो निःसन्देह आप अरबों मुघलो की नाज़ायज़ औलादे हैं। जय हिंद