ये देखिये। टोंक राजस्थान में पुलिस कर्मियों पर जानलेवा हमला करने वाले सारे अपराधियों का जन्मवर्ष 2002 है।अर्थात सभी 18 वर्ष से कम उम्र के हैं।राजस्थान में कांगिओं की सरकार है और वहां की व्यवस्था कांगिओं के दबाव में कार्य कर रही है।अब समझ मे आया कि 1947 2014 तक किस प्रकार कांगिओं ने कश्मीर बंगाल बिहार और दूसरे प्रदेश में हिंदुओं का नरसंहार करवाया और कानून व्यवस्था को अपाहिज कर रखा था?और कांगिओं के साथ वामिओ नमाजवादिओं और दूसरे दलों ने वोटबैंक सत्ता के लिए कितना घिनौना खेल किया देश प्रदेश के साथ?
अगर कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू नही किया जाता है तो उसका परिणाम बेहद घातक होगा।भारत का भविष्य अस्तित्व सब मिट जाएगा। इस समय जो सबसे बेहद महत्वपूर्ण कानून की अगर आवश्यकता है तो वो है चीन की तरह कठोर जनसंख्या को नियंत्रित करना। वोटबैंक और तुष्टिकरण की राजनीति इस देश के लिए भस्मासुर ही साबित हो रही है।
‘शान्ति का मजहब’ कितना ‘शान्तिप्रिय’ है, यह बताने की आवश्यकता नहीं। मुस्लिम शासनकाल में हिंदुओं पर असंख्य अत्याचार, अनगिनत यातनाएँ और बर्बरतापूर्ण तरीके से हिंदुओं की हत्या करने का उनका खूनी इतिहास इसका साक्षी है।
दूधमुंहे बच्चों तक को मुर्गी की तरह बीच से काटकर दो टुकड़े कर देना और आकाश में उछालकर भालों से गोद देना- इनके लिए बहुत सहज था और है। जो लोग मनुष्य के बच्चे तक को नहीं छोड़ते, वे पशुओं के साथ कैसे पेश आते होंगे?
आज भी उस मानसिकता से ये निकल नहीं पाए हैं। भला हो उस युग के उन चित्रकारों का, जिन्होंने इस्लामी क्रूरता को अपनी कूची से रेखांकित किया। इस्लामी बर्बरता का यह इतिहास स्कूलों में पढ़ाना तो दूर, सेक्युलर इतिहासकार अपनी किताबों में नृशंस शासक औरंगज़ेब को ‘जि़न्दा पीर’ तक बतलाते हैं।
भारत में मुस्लिम शासनकाल में हिंदुओं की क्रूरतापूर्वक हत्या के ऐसे-ऐसे उदाहरण हैं, जिनके बारे में पढ़कर ही आँसू आ जाते हैं, चित्रों से समझने पर तो बहुत ही बुरा मालूम होता है। यहाँ हम कुछ चित्रों को उदाहरण के लिए पेश कर रहे हैं।
30 मई, 1606 के दिन पाँचवें सिख-गुरु अर्जुन देव जी को गर्म तवे पर बैठाकर ऊपर से खौलता तेल और गरम रेत डाली गयी। पूरे शरीर में फफोले पड़ने के बाद उनके शरीर को रावी नदी में बहा दिया गया।
केश कटवाने से इनकार करने पर 01 जुलाई, 1745 को भाई तारू सिंह के सिर में से खोपड़ी को ही अलग कर दिया गया।
इस्लाम कुबूल न करने पर 09 नवम्बर, 1675 के दिन गुरु तेग बहादुर के शिष्य भाई मतिदास के हाथों को दो खम्भों से बाँधकर और शरीर को लकड़ों के पाटों के बीच जकड़कर आरे से ऊपर से नीचे धीरे-धीरे चीरा गया। और तब तक चीरा जाता रहा, जबतक उनके शरीर के साथ लकड़ों के पाट भी दो टुकड़े नहीं हो गये।
09 नवम्बर, 1675 के ही दिन भाई दयालदास को मारने के लिए एक नयी विधि अपनाई गयी। एक बहुत बड़ी देग में पानी भरकर उसमें भाई दयालदास को बैठाया गया, फिर नीचे आग लगा दी गयी। देग का मुँह ढक्कन से बन्द कर दिया गया। पानी को तबतक उबाला गया, जब तक भाई दयालदास की मृत्यु नहीं हो गयी।
10 नवम्बर, 1675 के दिन भाई मतिदास के अग्रज भाई सतीदास को रूई में लपेटकर जलाया गया।
सन् 1705 के आसपास गुरु गोविन्द सिंह के समर्पित शिष्य भाई मोतीराम मेहरा को परिवार सहित, जिसमें मोतीराम के छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल थे, गन्ने पेरनेवाले कोल्हू में गन्ने की तरह निचोड़कर मारा गया। किस भयंकर यातना में उन बच्चों की जान गई होगी, यह अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता।
12 दिसम्बर, 1705 को गुरु गोविन्द सिंह के दो बच्चों- फतेह सिंह एवं जोरावर सिंह को सरहिंद के नवाब ने दीवार में जीवित ही दफनवा दिया। उन 6-7 साल के मासूम बच्चों का कुसूर केवल इतना था कि वे परम स्वाभिमानी बच्चे इस्लाम कुबूल करने के लिए तैयार नहीं थे।
09 जून, 1716 को गुरु गोविन्द सिंह के सेनापति बाबा बन्दा सिंह बहादुर को हर तरह की यातना देकर मारा गया। गरम लोहे के चिमटों से उनके शरीर की पूरी खाल उतारी गयी। खाल उतारते समय उनके समक्ष उनके मासूम बच्चे को काटकर उसका कलेजा बन्दा सिंह बहादुर के मुंह में ठूंसा गया। अन्त में हाथी के पाँव तले कुचलवाकर बन्दा सिंह बहादुर की हत्या की गयी।
यातनापूर्वक मौत देने के लिए परस्पर जुड़े हुए दो लौहचक्र बनाए गए थे। एक चक्र में लोहे की कीलें और दूसरे में छिद्र थे, जिनमें वे कीलें समा जाती थीं। उन लौहचक्रों में 1745 में भाई सुबेग सिंह एवं भाई शाहबाज सिंह को बाँधकर मारा गया। चक्र को घुमाते समय कीलें उनके शरीर के आर-पार होकर उन छिद्रों में समा जाती थीं।
हैरानी की बात है कि इन घटनाओं के तीन-चार सौ साल बीत जाने पर भी इराक और सीरिया-जैसे देशों में ये मुसलमान हज़ारों की संख्या में यहूदी औरतों और बच्चों को मार रहे हैं।
क्या यही शान्ति का मजहब है?
जो घेरे मे अफगानिस्तान मे गुरूद्वारे हमले का मास्टरमाइंड है वह पाकिस्तानी है नाम है #असलम_फारूकी
दिल्ली नही है , उत्तरप्रदेश है
मेडिकल टीम पर छतो से पथराव करने वाली सभी महिलाएं अरेस्ट
लगाया NSA
ईलाज पूरा होगा ,जरूर होगा #मुरादाबाद
हाजी नेब मस्ज़िद
छोड़ आये हम वो टुटर की गलियां