मनुष्यों के पहुंचने से पहले ही प्रभावित हो गए थे के ग्लेशियर
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अध्ययन से पता चलता है कि १८ वीं शताब्दी के अंत में यूरोप में औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप कोयले के जलने के उसके बायप्रोडक्ट्स (धुएं में मौजूद जहरीले पदार्थ) ने दसुओपु तक अपनी पहुंच बना ली थी। 

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समेत देश के तमाम हिमालयी राज्यों के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में विभिन्न माध्यमों से पहुंच रहा ब्लैक कार्बन एरोसोल ग्लेशियरों की सेहत बिगाड़ रहा है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ 'न जियोलॉजी के वैज्ञानिकों की ओर से किए गए शोध में यह बात सामने आई है।
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संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पीएस नेगी के मुताबिक ब्लैक कार्बन एरोसोल सूर्य की पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करने के बाद उन्हें इंफ्रारेड किरणों के रूप में उत्सर्जित कर रहे हैं, जिससे कृत्रिम गर्मी पैदा हो रही है। इसकी वजह से हिमालयी क्षेत्रों में तमाम ग्लेशियरों की स्नो लाइन ऊपर की ओर खिसक रही है।

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