मुस्लिम समुदाय द्वारा हिंदुओं के साथ उनके घर में घुसकर मारपीट हत्या का प्रयास अत्याचार के खिलाफ यह FIR एक अधिवक्ता होने के नाते जैसे तैसे थाना चंडौस जनपद अलीगढ़ में पंजीकृत तो कर दी गयी , पंजीकृत होने के बाद पुलिस ने 2 दिन तक तो अभियुक्तों की धरपकड़ में बहुत सक्रियता दिखाई और जैसे ही मुल्जिमानों ने पुलिस की जेब गर्म कर दी तो उल्टा पीड़ित परिवार को ज्ञान बघारने लगे कि हम अन्वेषण अपने तरीके से करेंगे,और जेब गर्म होने के बाद से सारी की सारी सक्रियता ठंडे बस्ते में डाल दी गयी । .....और बहुत सारे उदाहरणों से मैने ये फील किया है कि व्यवस्था रूपी धुरी के दो पहिये एक शासन दूसरा प्रसाशन हैं ...आज प्रसाशन रूपी पहिये का ज़मीर लालच ओर रिस्वत में बिक चुका है ....कोई ठोस कदम इस प्रसाशन रूपी पहिये को दुरुस्त करने के लिए और भी इससे कही अधिक इसको सबक सिखाने के लिए उठाना चाहिए ....नागेन्द्र चौहान (अधिवक्ता) ...
1. विदेशों (इंडोनेशिया, किर्गिस्तान, मलेशिया, चीन आदि) से हज़ारों की संख्या में गरीब लफंगे टाइप के मुसलमान दिल्ली में बुलाये गये।
2. वीसा अवधि समाप्त होने पर ये वापस नहीं गये बल्कि भारत के तमाम शहरों की मस्जिदों में छिप गये लगभग 900 अभी तक ढूँढे नहीं जा सके।
3. ये पूरे देश मे खपा दिये गये एक organised तरीके से।
4. अगर कोरोना न फैलता तो क्या इनको कोई ढूँढता ?
5. शायद इनके बारे में कोई सोचता भी नही, ढूँढने की तो बात दूर है।
6. असल में किसी को इनमे इतनी रुचि भी नहीं थी कि इनकी ऐसे गतिविधियों पर कोई ध्यान दे और सोचे कि ऐसी कोई जमात या मीटिंग भी होती है और उसका असल मकसद क्या है?
7. क्या इनका मकसद सिर्फ धार्मिक बातें या मीटिंग करना है ? अब यह एक सोचने का विषय बन गया है।
8. कोरोना के पहले इस देश में कितनी बार तब्लीगी जमात या किसी अन्य जमात में कितने विदेशी मुसलमान कितनी बार कब -कब बुलाये गये और उनमें से कितने वापस गये, किसी ने सोचा ?
9. और ये अपने आप को छिपा क्यों रहे हैं ? इनको छिपाने के लिये डॉक्टरों और पुलिस टीम पर पथराव लगभग सभी जगह हो रहा है , एक ही पैटर्न में organised तरीके से, क्योकि अगर पकड़े गये तो गिनती होगी, कागज चेक होंगे, deportation होगा।
10. एक और बात ध्यान देने की यह है कि इन इंडोनेशिया आदि से आये लोगों की मोरादाबाद, बरेली, इलाहाबाद, लखनऊ और देश के अन्य छोटे शहरों में इनकी क्या connection, जान- पहचान या रिश्तेदारी हो सकती है जबकि ये हिंदी भी बोलना नही जानते?
11. अगर आप इन इंडोनेशिया आदि से आये लोगों को ध्यान से देखें तो यह कोई बहुत अच्छी हैसियत के लोग भी नहीं दिखते।
12. अगर कोई विदेशी वीसा अवधि के बाद भी वापस नही जाता तो उसको 137 करोड़ जनसंख्या वाले देश मे ढूँढना बहुत मुश्किल होता है, खास तौर से अगर उसका उद्देश्य ही इस देश मे खपने का हो।
देश में deportation करने का process और उसकी कानूनी कार्यवाही बहुत लंबी और पेचीदगी भरी है।
13. deportation process और भी complicated हो जाता है अगर कोई ऐसा विदेशी भारत मे चार शादी करके 26 बच्चे पैदा कर ले तो उसके सभी परिवार को कानूनी अधिकार भी मिल जाते हैं, personal law की दुहाई भी दी जाती है।
14. स्थिति साफ होती जा रही है की धार्मिक मीटिंग के आड़ में क्या चल रहा है? *भारत में दारुल हरब से दारुल इस्लाम बनाना ही इनकी रणनीति है।*
15. और अगर ये सब किसी पुरानी सरकार के वोट बैंक को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य की आड़ में organised तरीके से किया जा रहा हो तो मामला NIA द्वारा गंभीर जाँच पड़ताल का बनता है।
कश्मीर छद्म युद्ध (जेहाद) के लिए 'ब्लोबैक' पाकिस्तान के बलूचिस्तान पक्ष की ओर आ रहा है। स्वप्रेरित बीएलए (बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी) स्वतंत्रता सेनानी हर बार पाकिस्तान कश्मीर घाटी में तबाही मचाने का प्रयास करते हुए बलूचिस्तान में पाकिस्तानी कब्जे वाली सेना के लिए नरक के द्वार ढीले कर देंगे । बलूचिस्तान में 10 दिन में पाकिस्तान सेना पर यह दूसरी सटीक हड़ताल है।
*रानी नागर आईएएस ने दिया इस्तीफा*
चंडीगढ़। हरियाणा कैडर की आईएएस रानी नागर ने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सरकार से अनुमति मिलने के बाद वह आज ही गाजियाबाद लौट रही हैं।
2014 बैच की आईएएस अधिकारी ने नौकरी से इस्तीफा देने का कुछ दिन पहले ही निर्णय लिया था। वह सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट डिपार्टमेंट में एडिशनल डायरेक्टर पद पर तैनात थी।
बता दें कि उत्तर प्रदेश की रहने वाली आईएएस अधिकारी रानी नागर अपनी सुरक्षा को लेकर लगातार चिंतित थी।
उन्हाेेंने हरियाणा में एक मामले को लेकर हाईकोर्ट में भी शिकायत लगा रखी थी। इसी के चलते आज उन्हाेंने इस्तीफा दे दिया।
वाराणसी के चौबेपुर थाना प्रभारी अपनी जिम्मेदारी नही निभा पा रहे हैं ।इलाके में शराब की तस्करी हो रही हैं और जब मीडिया में बात फैली तब जा कर वर्क आउट कर दिए और अब नया मामला इनके उपनिरीक्षक टिक टॉक बना रहे हैं सरकारी गन और सरकारी जीप से मगर उनको कोई जानकारी ही नही हो पा रही हैं।ऐसे में एक सवाल है कि जब अपने इलाके में ये महोदय कैसे कानून व्यवस्था चला पा रहे होंगे ।
छोड़ आये हम वो टुटर की गलियां